महाराष्ट्र का अंबरनाथ शिव मंदिर और इसे अपवित्र करने की साजिश

By Saurabh महाराष्ट्र का अबंरनाथ मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है जो अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए विख्यात है। 11वी सदी मे निर्मित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह भव्य मंदिर वाल्डुनी नदी के तट पर स्थित है।पौराणिक कथा के अनुसार, यह मंदिर एक रात में पांडवों द्वारा एक पत्थर से बनाया गया था क्योंकि उन्होंने यहां आश्रय लिया था। मंदिर का गर्भगृह जमीनी सतह से नीचा है , जहाँ पहुँचने के लिए मंडप से लगभग 20 सीढियाँ उतरनी होती है । मंदिर का शिखर खुला हुआ है और किंवदंती है कि यहाँ एक गुप्त मार्ग है जो कि पांडवों द्वारा उपयोग किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि आज आप यहाँ एक गलियारा पाएंगे जिस पर ताला लगा दिया गया है और किसी को इसके भीतर जाने की अनुमति नहीं है। प्रति वर्ष लाखों हिंदू यहाँ दर्शन हेतु आते है , पवित्र श्रावण माह व शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं मे विशेष उत्साह होता है । आज दुर्भाग्य वश यह प्राचीन मंदिर भारतीय जनता पार्टी की तुष्टिकरण का शिकार हो गया है। केंद्र में एनडीए सरकार के राजनेताओं का गठबंधन, बीजेपी शासित महाराष्ट्र राज्य और भारतीय जनता पार्टी के सत्तारूढ़ उल्हासनगर के पार्षद , मंदिर के पास एक मुस्लिम कब्रिस्तान को स्वीकृत कर मंदिर की पवित्रता को अपमानित करने के लिए एक साथ आए हैं।हिंदुत्व राजनीति के प्रणेताओं ने कुछ वोटों के खातिर मुस्लिम तुष्टिकरण के पुराने रास्ते को अपनाना शुरू कर दिया , जो कि बड़ी भूल साबित हो सकती है क्योंकि देश भर के हिंदू गहन सदमे में है । सबसे दुखद बात यह है कि तुष्टिकरण की गन्दी राजनीति के लिए उन्होंने प्राचीन मंदिर को अपमानित करके और मंदिर के पास रहने वाले सैकड़ों हिंदू परिवारों को विस्थापित करने का फैसला मुस्लिमों को प्रसन्न के लिए किया है। क्षेत्र के मुस्लिम पहले से उपयोग किए जाने वाले कब्रिस्तान के अलावा एक नया कब्रिस्तान मांग रहे थे। सरकार द्वारा उन्हें एक ऐसी भूमि जारी की गई जो पहले मंदिर से बहुत दूर थी पर मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए आवंटित भूमि का विरोध बिल्डर माफिया ने किया क्योंकि इससे उनकी संपत्ति का मूल्य कम हो जाएगा। फडणवीस सरकार का माफिया के आगे झुक कर हिन्दु भावनाओं को ठेस पहुँचाना बेहद शर्मनाक कृत्य है। मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए आवंटित मूल भूमि बदल दी गई थी और प्रशासन द्वारा अंबरनाथ शिव मंदिर के पास एक नई भूमि को अंतिम रूप दिया गया । नई आवंटित भूमि का हिंदू व मुस्लिम दोंनो विरोध कर रहे है क्योंकि मुस्लिम हिंदू समुदाय के साथ अनावश्यक टकराव नहीं चाहते , क्योंकि कब्रिस्तान शिव मंदिर को अपमानित करेगा। इसके अलावा मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए आवंटित नई भूमि में गणेश विसर्जन तालाब भी शामिल है जिसका उपयोग वर्तमान मे गणेशोत्सव के दौरान हिंदुओं द्वारा किया जाता है । विरोध के बावजूद छद्म राजनेताओं और राज्य प्रशासन ने , दोनों हिन्दू व मुस्लिम समुदाय को चुप रहने और पूरे मामले को उनके पास छोड़ने का झूठा आश्वासन दिया है। निश्चित रूप से राजनेता , दलालों और बिल्डर माफिया को मना करने का साहस नहीं कर सके तो आसान था हिंदू परिवारों को विस्थापित करना और शिव मंदिर को अपमानित कर हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ करना क्योंकि हिंदुओं ने अपनी सुरक्षा और सुरक्षा के लिए भाजपा और आरएसएस पर पूरी तरह भरोसा किया है , पर बदले मे हिंदुओं के साथ विश्वासघात किया जा रहा है ।
दिलचस्प बात यह है कि गणेश विसर्जन टैंक का निर्माण प्लाट नम्बर 243 पर ₹ 80 लाख मे इसी नगरपालिका परिषद द्वारा कराया गया था । देवेंद्र फडणवीस सरकार मंदिर के समीप की पूरी जमीन को कब्रिस्तान बनाने के लिए गणेश टैंक को भी तोड़ने को तैयार है । केंद्र की मोदी सरकार के हस्तक्षेप से इस प्रक्रिया मे तेजी आई । ऐसा कहा जाता है कि वर्ष 2017 मे इस क्षेत्र के मुसलमानों ने नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया और उन्होंने इस मामले को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को सौंपा। इस पर नकवी ने महाराष्ट्र सरकार को एक पत्र लिखा था कि वे मुसलमानों के लिए कब्रिस्तान बनाने के अनुरोध पर कार्य करें।
केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद अबंरनाथ मंदिर के पास एक कब्रिस्तान बनाने की प्रक्रिया तेजी आ गई । उल्हासनगर नगर निगम जो भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित है, ने भूमि को कब्रिस्तान में बदलने की अधिसूचना जारी कर दी। यह भूमि बाढ़ क्षेत्र मे आती है इसलिए इसका उपयोग कब्रिस्तान के रूप में उपयोग के लिए निषिद्ध है पर यहाँ कई अधिकारियों की अनुशंसाओं को अनदेखा किया गया , जिन्होंने इसकी अवैधता पर सवाल उठाए।
ओछी राजनीति मे अंधे कुछ धूर्त राजनेता जो वोटों के लिए किसी भी हद तक गिर सकते है , के लिए नियम और कानून कोई बाधा नहीं थे। उन्होंने कब्रिस्तान की भूमि सीमांकन प्रक्रिया को आगे बढाया । हिंदुत्व के राजनेताओं के विश्वासघात से हिंदू खतरे में थे और उच्च न्यायालय जाने के अलावा उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचा था।  इस अंतिम विकल्प को भी महाराष्ट्र सरकार ने अपने हलफनामे में झूठ बोलकर अदालत को गुमराह कर दिया , अदालत को यह विश्वास दिलाया गया कि बनाया गया कब्रिस्तान कानून के अनुसार है और हिंदुओं का अदालत आना, दुर्भावनाओ से प्रेरित है जबकि तथ्य यह है कि कब्रिस्तान बिल्डर माफिया के दबाव पर अमरनाथ शिव मंदिर के पास स्थानांतरित किया गया है। नीचे नक्शा स्पष्ट रुप से दिखा रहा है कि प्रस्तावित कब्रिस्तान शिव मंदिर से केवल 223 मीटर दूर है। इसके अलावा कब्रिस्तान की प्रस्तावित भूमि मे भूमि मे लगभग 250 हिंदू परिवार रहते हैं व गणपति विसर्जन टैंक भी शामिल है जिसे कब्रिस्तान के लिए नष्ट कर दिया जाएगा ।
अदालत के माध्यम से हिंदुओं के न्याय से वंचित होते ही , सफलता से उत्साहित, उल्हासनगर नगर निगम ने तुरंत 250 हिन्दू परिवारों को प्रस्तावित कब्रिस्तान के निर्माण हेतु अपने घर खाली करने के लिए नोटिस जारी कर दिए । महाराष्ट्र सरकार द्वारा परिवारों को कोई वैकल्पिक आवास या जमीन नहीं दी गई । इस तथ्य को भी नजरअंदाज कर दिया गया था कि लोगों से उनके घर छीनना , खराब मानसून मे महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों व परिवार के अन्य लोगों के लिए अत्यंत दुखदाई साबित होगा। वास्तव मे फडणवीस सरकार की पहली प्राथमिकता 250 हिंदू परिवारों को बेघर कर मुर्दों को घर देना व मुस्लिम तुष्टिकरण की है ।
अंबरनाथ शिव मंदिर में लाखों भक्त शिवरात्रि उत्सव के दौरान यहाँ दर्शनार्थ आते है । भविष्य में , मंदिर के आसपास की भूमि का इस्तेमाल मुसलमानों द्वारा मुर्दों को दफनाने और मुस्लिम धार्मिक उद्देश्यों के कारण सांप्रदायिक तनाव पैदा होगा । हालांकि हिंदू समुदाय का हार मानने या आत्मसमर्पण करने का कोई विचार नहीं है। एक नया प्रतिरोध उत्पन्न हुआ है, पुनरुत्थान प्रारंभ हो गया है। जैसा कि स्वघोषित हिन्दुओं के रक्षक और हिन्दू पॉप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना मुंह नही खोला हैं और जलती हुई समस्या से खुद को अलग कर रखा है, हिंदू युवा अब सनातन धर्म की रक्षा के लिए मैदान में प्रवेश कर रहे हैं और हमारे मंदिरों की सुरक्षा व पवित्रता को संरक्षित करने व हिंदू समाज के हितों को बचाने हेतु प्रतिबद्ध है । सवाल यह है कि क्या हिंदू समाज कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा छला जाता रहेगा । कश्मीर के हिंदुओं पर राजनीतिक दलो द्वारा किए गए घाव जहां वे अलगाववादियों के पक्ष में खडे थे, अभी भी देश के हर हिंदू के दिमाग में ताजा है। क्या हिन्दू अपने मंदिरों को अशुद्ध होने देंगे और मासूम परिवारों को बेघर होने देंगे ? या क्या हिन्दू भारतीय जनता पार्टी के गद्दारों से उत्तर मांगेंगे जिन्होंने हिन्दू समाज के साथ धोखा किया है ? क्या हिन्दू राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओ से सवाल करेंगे जिन्होंने हमारे मंदिरों की पवित्रता की रक्षा करने से इनकार कर दिया है? क्या हिन्दू आंतरिक गद्दारों और बाहरी दुश्मनों की संयुक्त शक्ति से लड़ने में सक्षम होंगे? समय बताएगा।

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Ambarnath Siva temple in Maharashtra and attempts to desecrate it

Ambarnath Temple in Maharashtra is one of the ancient temples of Bharat and is known for its unique architecture. It was built in 11th century AD and is dedicated to Lord Shiva. This magnificent temple is located on the banks of Waldhuni river.

According to legend, this temple was carved from a single stone by Pandavas in one night as they took shelter here. The temple has its Garbhagriha below the ground, reached by around 20 steps from the Mandapa.  The temple has open Shikhara, and legend has it that the temple has hidden passageway which was used by Pandavas. Interestingly you will find a passage that is now locked and nobody is allowed to go through. Every year lakhs of Hindus visit the temple especially during the holy Shravan month and Sivratri festivals.

Unfortunately the ancient temple and the Deity has become victim to the appeasement politics of Bharatiya Janata Party. A coterie of politicians from NDA government at centre, BJP government ruling Maharashtra state and Corporators of Bharatiya Janata Party ruling Ulhasnagar have come together to desecrate the sanctity of the temple by allowing a Muslim graveyard in the vicinity of the temple. Hindus of the area were in a rude shock when they saw the proponents of Hindutva politics started treading the same old path of Muslim appeasement for a few votes. The hardest part was that they chose to appease Muslims by desecrating the ancient temple and also by displacing hundreds of Hindu families living near the temple.

Muslims of the area were demanding a new graveyard for them in addition to the one they already use. They were issued a land which was far away from the temple at first. However the land allocated for Muslim graveyard were opposed by builder mafia as they feared this will lower the value their property being developed. Our Prime Minister Narendra Modi is hell bent on providing safe haven for businessmen, the BJP government in Maharashtra was no lesser in their friendliness with realtors. The original land allotted for Muslim graveyard was changed and a new land near Ambarnath Siva temple was finalised by the administration.

The new land near the Ambarnath temple was opposed by both Hindus and Muslims of the area. Muslims feared that this will lead to unnecessary confrontation with Hindu community, as graveyard will desecrate the Siva temple. Also the Muslim graveyard also included Ganesh Visarjan pond that was used by Hindus during Ganeshotsav. However the politicians and state administration have asked them to keep quiet and leave the whole matter to them. Surely the politicians couldn’t offend the realtors and builder mafia. Easier was to displace Hindu families and desecrate the Siva temple, as Hindus have relied totally on BJP and RSS for their safety and security.

The Ganesh Visarjan tank was actually made by the same municipal council at a cost of Rs.80 lakhs on plot no. 243 . The Ganesh tank would also be demolished by the Devendra Fadnavis government as part of converting the entire land into a graveyard.

The intervention of the Narendra Modi government at centre also quickened the whole process. In year 2017, it is said that Muslims of the region requested Narendra Modi to intervene and he entrusted the matter to Muqtar Abbas Naqvi, the Minority Affairs minister. Naqvi inturn wrote a letter to Maharashtra government asking them to act on the request for graveyard for Muslims.

The process of making a graveyard near Ambarnath temple was hastened after central intervention. The Ulhasnagar Municipal Corporation which is governed by Bharatiya Janata Party issued notification of converting the land into graveyard. This was done by ignoring the recommendation of many officers who cited the illegality of the same. The land was coming in the flood zone and was prohibited for use as graveyard.

 

But for those politicians who were blind in appeasement and with insatiable hunger for votes, rules and laws were no hinderance. They went ahead with the process of demarcation of land as graveyard. Hindus were alarmed at the betrayal of the Hindutva politicians and had no other option except to move High Court. However the remedy was denied as the Maharashtra government on oath misled the court with blatant lies in their affidavit. The court was made to believe that the graveyard was as per law and the Hindus who moved court was driven by malice. The fact however was that the graveyard was shifted to near Ambarnath Siva temple at behest of builder mafia.

The below map will clearly show that the proposed graveyard is only 223 metres from the Siva temple. Also the graveyard will subsume the land which now has Ganpati Visarjan tank and also the land where around 250 Hindu families reside.

Buoyed by success in denying justice to Hindus via courts, the Ulhasnagar Municipal Corporation immediately issued notices to 250 families living nearby the proposed graveyard to vacate their residences. There was no alternate accommodation or land given to the families by Maharashtra government. Also was ignored the fact that inclement monsoons will bring unforeseen miseries to women, children and every person who are dispossessed of their land. Surely the Bharatiya Janata Party has new priorities and it calls for accommodating the dead of Muslim community by making around 250 Hindu families homeless.

The Ambarnath Siva temple has around lakhs of devotees visiting Mahadev during festivities like during Sivaratri and the area demarcated as Muslim graveyard is used by devotees. There is a very likelihood that communal tensions will arise in the future as the land in vicinity of ancient temple is used by Muslims for burying dead and their own religious purposes.

The traitors are said to worser than enemies and when they stab from behind, the wounds are mortal. While backstabbed by Brutus, Caesar had said ” Et tu Brutus, then fall Caesar”

However the Hindu community are in no mood to fall or surrender. A new resistance has arisen, the revival has started. As the self proclaimed Hindu saviours and wannabe Hindu Popes of Rashtriya Swayamsevak Sangh has not opened their mouths and has kept themselves aloof from the burning issue, new Hindu youth are entering the fray to defend Sanatana Dharma and preserve the sanctity of our temples and the secure the lives of the Hindu families.

The question remains as to how long Hindu Samaj will allow themselves to be backstabbed by the Bharatiya Janata Party and Rashtriya Swayamsevak Sangh. The wounds inflicted by Sangh on the Hindus of Kashmir where they sided with PDP separatists is still fresh in the minds of every Hindu.

Will Hindus allow their temples to be defiled and families to be rendered homeless? Or will Hindus demand answers from the traitors of the Bharatiya Janata Party who has sided with Muslims or from the leaders of Rashtriya Swayamsevak Sangh who has refused to protect the sanctity of our temples? Will Hindus be able to fight the combined might of traitors within and the enemies outside?

Time will tell.

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